Nice song – From Ek Chalis Ki Last Local (which has some pretty interesting scenes as I found out last night at Ojas’).
जो होता है अच्छे के लिए होता है
ग़लत केहते है …
किस्मत का खेल है सारा
फिरता था में आवारा
ये क्या से क्या हो गया
चार दिन की ज़िंदगानी
हैर पल एक नई कहानी
क्या था में क्या बन गया
क्या हुआ जो लारी छूटी
जीवन की गाड़ी लूटी
ख्वाब है तो मुझको ना जगा
ज़िंदगी एक पल में साली
यूँ पलट गई हुमारी
झूठ है तो मुझको ना बता
मुंबई ..सुना था यहाँ आदमी
पूरी ज़िंदगी अपनी किस्मत स्लोव ट्रक्क से फ़ास्ट ट्रक्क लाने में निकल देता है
पेर ढाई घंटे में मेरी किस्मत
ऐसे स्लोव ट्रक्क से फ़ास्ट ट्रक्क पर
आ जाएगी ये मैने कभी सोचा नही था
सज़ा मज़ा बन जाएगी
ये भी कभी सोचा नही था
लास्ट लोकल क्या छूटी
साला किस्मत पटरी पर आगाई
कर लो जो भी करना है
होता है जो होना है
गुज़रा तो पल ये फिर ना आएगा
क्या बुरा है क्या भला है
वक़्त ही शायद खुदा है
हो जाने दो फिर देखा जाएगा
क्या हुआ जो लारी छूती
जीवन की गाड़ी लूटी
ख्वाब है तो मुझको ना जगा
ज़िंदगी एक पल में साली
यूँ पलट गई हुमारी
झूठ है तो मुझको ना बता
वो केहते हैं ना
जो होता है अच्छे के लिए होता है
सही केहते हैं
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